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Folk Tale on Rupade
Content Provider | Internet Archive: Cultural Resources of India |
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Spatial Coverage | 1989-07-08 |
Description | रुपा दे की वेल - घर रै धारु रै पायल धराणा, अर्थावणा। चैक री चाल पाट रे पुराणा, अर्थावणा। सजी सिण गार रुपा जमे पधारिया, अर्थावणा। झांझर काढ थने पंगा रो देवा, अर्थावणा। शंख मंजीरा वीणा रस अब बाजीया, अर्थावणा। रावल मलजी राज री दुहाई, अर्थावणा। हाथ जोड़ ऊबा रुपादे रे अरज करे गुरुजी, अर्थावणा। बाई रुपादे अब मोजड़ी दीरानी, अर्थावणा। सूरत सहागण थु सदा ही सनुरा, अर्थावणा। पावस पण रेण अन्धारी, अर्थावणा। बाग न वाड़ी राय न चम्पो, अर्थावणा। |
Access Restriction | Open |
Rights License | http://creativecommons.org/licenses/by-nc/4.0/ |
Subject Keyword | Oral Traditions |
Content Type | Audio |