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Folk Tale on Bagrawat
Content Provider | Internet Archive: Cultural Resources of India |
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Spatial Coverage | 1987-08-06 |
Description | लोक कथा: बगड़ावत - भाणजै देवनारायण व मामी के बीच की वार्ता, अर्थावणा। मामी द्वारा भांणजा का रुकना व भांणजा का न रुकने की वार्ता करना, अर्थावणा। मामी द्वारा भांणजा को चैमासा रुकने को कहना व भांणजा द्वारा मामी का मना करना, अर्थावणा। मामी द्वारा भाण्जा का रोकना व भांणजा का न रुकना व वार्ता गैंद का मामी के चूड़ले पर लगने से बोल बोलना, अर्थावणा। घोड़ी के बारे में वार्ता व मामी से भांणजा की वार्ता, अर्थावणा। भांणजा द्वारा पाचू हत्यार व भाला माँगना व मामी से घोड़े से वार्ता, अर्थावणा। घोड़ा को पौड से रुख उड़ाना व खाती से खेजडे कटवाना, अर्थावणा। देवनारायणा क्षरा खेड़ा बसाना, अर्थावणा। रानी मोरड़ी व माता का अपने बेटे से वार्ता करना, अर्थावणा। बेटे का जिद करना व पण्डित को बुलाना। सावा निकालना व रानी मोरड़ी को लाने की बात करना, अर्थावणा। रानी मोरड़ी को आते ही माता का खत्म होना पर पण्डित को लोभ में आकर सावा निकालना व विवाह का होना, अर्थावणा। आगे बा्रहाण सही सतकार बताना, अर्थावणा। पण्डित से बेटे द्वारा वापस दान लेना व वार्ता, अर्थावणा। |
Access Restriction | Open |
Rights License | http://creativecommons.org/licenses/by-nc/4.0/ |
Subject Keyword | Oral Traditions |
Content Type | Audio |