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Rupade Ki Janampatri: Folk Tale (Vol. V)
Content Provider | Internet Archive: Cultural Resources of India |
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Spatial Coverage | 1980-04-26 |
Description | लोक कथा: रुपादे की जन्म पत्री । रुपादे चैकिदार को भांग को कहना व जम्मा में जाने हेतु आना। भगवन को याद करना व अलख को आरीध करना। भगवान के यहाँ जाना व रास्ते में पहरेदारो को रुपादे का सत परखना व गुरु के पास जाना। बधावा आना व सन्तो में खुशी आना। महल में चन्द्रा वाजी रानी की तलाश करना व मालदेव को शिकायत करना। मालदेव व रुपादे की सेज पर ताका नागो को देखकर मालदेव का नाई को लेकर ढुढने जाना व नाई को उसकी पगरखी टूट जाने की बात करना। रुपादे के साथ रामदेवजी को भेजना व नाई की खाख् में गांढ होना व आकाश से मोजरी आना। महादेव का रास्ते में मिलना व बहाना बनाना। महादेव चेजा बनने की वार्ता। |
Access Restriction | Open |
Rights License | http://creativecommons.org/licenses/by-nc/4.0/ |
Subject Keyword | Oral Traditions |
Content Type | Audio |