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Pandav Ki Janampatri: Rajasthani Folk Tale (Vol. V)
Content Provider | Internet Archive: Cultural Resources of India |
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Spatial Coverage | 1987-10-02 |
Description | महाभारत काल में करणावली- रानी पदमा व बा्रहाण रुप में भगवान की वार्ता। बा्रहाण का कर्ण के पास जाना और समाचार देना। दान का हठ करना। दांत तोड़कर लेने का दान मांगना, अर्थावणा। कर्ण की स्वीकृति बा्रहाण रुप में भगवान कृष्ण द्वारा दांत तोड़ना। खुन से भरे दांतो को गंगा के पानी से धोने को कहना व कर्ण द्वारा इस इच्छा को पुरा करना। राजा कर्ण द्वारा तीन वचन मांगना, अर्थावणा। राजा पींड को मुक्ति दिलाना। नारद मुनि का आकर पांडवों को कहना कि तुम्हारे पिता हरणी के श्राप के कारण नरक में है, अर्थावणा। नारद का उन्हे उपाय बताना व गंगा से गंगाझारी भरकर लाना व धार से सोना पैथाल से गैडे की खाल व डाण आन्तरियो धोकर उन्हे मुक्ति मिलेगी, अर्थावणा। पांडवों का घर जाकर सभा बुलाना व बीड़ा फेरना, अर्जुन का बीड़ा उठाना। अर्जुन का बीड़ा उठाने के बाद माता के महल में आना और आशिष लेना। |
Access Restriction | Open |
Rights License | http://creativecommons.org/licenses/by-nc/4.0/ |
Subject Keyword | Oral Traditions |
Content Type | Audio |