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Pandav Ki Janampatri: Rajasthani Folk Tale (Vol. VI)
Content Provider | Internet Archive: Cultural Resources of India |
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Spatial Coverage | 1987-10-02 |
Description | महाभारत काल में पींड राजा की मुक्ति । अर्जुन का पंथाल को प्रस्थान करना, सहदेव व अन्य भाईयो से विदा लेना। रानी से वार्ता करना। रानी द्वारा भीम को भेजने को कहना और रात रुकने के लिए सहोदरा का निवेदन करना, अर्थावणा। सभी सावधानिया रखने को कहना। सभी भाईयो का अपने पिता की छतरी पर जाना। अर्जुन का प्रस्थान व पवन घोड़े पर सवार होकर अपने गुरु की धूणी पर पहुचना और आशीष लेना। पंथाल में नाग कंवरी से बचकर रहने की सलाह देना। पंथाल में नाग कंवरी से मिलना, अर्थावणा। 12 वर्ष बिताने पर एक रात सपने में सहोदरा रानी का आना, अर्थावणा। नाग पुत्री का वापस अर्जुन को भेजना और अर्जुन को हस्तिनापुर पहुचना, अर्थावणा। अर्जुन द्वारा नाग पुत्री से विवाह करने की बात करना। |
Access Restriction | Open |
Rights License | http://creativecommons.org/licenses/by-nc/4.0/ |
Subject Keyword | Oral Traditions |
Content Type | Audio |