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Rajasthan Brooms Film Tour in Kotada
Content Provider | Internet Archive: Cultural Resources of India |
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Spatial Coverage | 2010-02-18 |
Description | वक्ता द्वारा खजुर झाड़ू बनाने की सम्पुर्ण प्रक्रिया के बारे में बताना जिसमें खजुर कटाई का ठेका तहसील स्तर पर होता हैं जो तहसील दार के द्वारा विज्ञप्ति निकाली जाती हैं। यह काम 15 से 20 वर्षों से चला आ रहा हैं। इस बार खजुर के पत्तियां की कटाई का ठेका 3.70 लाख में हुआ। इससे ठेकेदार को ज़्यादा कमाई तो नहीं होती परंतु उनका जीवन यापन हो जाता हैं। एक पंचायत में से 15 से 20 ट्रक खजुर के पत्तियां से भर कर बेच देते हैं। एक भारी की किमत 80 रूपये होते हैं कटाई करने वाले के प्रत्येक भारी 18 से 20 रूपये अलग से देने पड़ते हैं। ट्रक का किराया कच्चा माल की भारी के हिसाब से 25 रूपये देते हैं जिसमें ट्रक की भराई करने वाले मजदुरी भी साथ में होती हैं। फिर झाड़ू बनाने वालों 80 रूपये पर भारी के हिसाब से बेच देते हैं। स्कूल के बच्चों के लोक गीत - छः साल की छोकरी। लोक गीत - मोटे मोटे थे खेल रहे थे। लोक गीत - ए मेरी गुड्डीया। लोक गीत - सुरता होजा भजन वाली नर । लोक गीत - आज मारे कानुड़ा रे काई हो गयो। |
Access Restriction | Open |
Rights License | http://creativecommons.org/licenses/by-nc/4.0/ |
Subject Keyword | Traditional Knowledge |
Content Type | Video |