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Rajasthan Brooms Film Tour in Phalodi
Content Provider | Internet Archive: Cultural Resources of India |
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Spatial Coverage | 2010-02-12 |
Description | कांवड़ में एक तरफ तो सारी लोक कथाएं होती हैं। जिसमें पहले कथा का वाचन करने के बाद उनके पुर्वजों के नाम लेते हैं। प्रत्येक गाँव की दो से तीन कावड़ होती हैं। जिसमें 15 से 20 घर होते हैं। इससे भी ज़्यादा होने पर एक अलग कांवड़ बनाई जाती हैं। इससे पहले हमारे जजमान के नाम बही में लिखे जाते हैं। एक कांवड़ को एक साल के लिए ही रखते हैं फिर दुसरी साल दुसरी कांवड़ बनाने पड़ती हैं। और पहले वाली कांवड़ को सुरक्षित रख देते हैं। कांवड़िया भाट के द्वारा कांवड़ वाचन जो उसके पास बनी कांवड़ में से। झनीयों घास री हावरणी होती हैं जो वर्षा ऋतु में उगती हैं। और कार्तिक महिने में काट ली जाती हैं। घर के अन्दर बुरड़ों और बुरू की हावरणी काम में लेते हैं। |
Access Restriction | Open |
Rights License | http://creativecommons.org/licenses/by-nc/4.0/ |
Subject Keyword | Traditional Knowledge |
Content Type | Video |