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Discussion on Folk Music (Vol. I)
Content Provider | Internet Archive: Cultural Resources of India |
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Spatial Coverage | 2003-03-09 |
Description | डॉ सनीरा कासलीवाल एवं श्री धन्नजय रुदा द्वारा सांरगी व कमायचा बनाने की कार्यशाला पर वार्ता। इस कार्यशाला के वार्तानुसार लोक वाद्य को बनाने के कार्य की शुरूआत कहां से हुई तथा इस कार्य में क्या कठिनाइयाँ आई। कमायचा व सांरगी को बनाने में प्रयोग होने वाली लकड़ी की जानकारी। वार्ता में यह कहा गया हैं कि यह लोक वाद्य सारंगी व कमायचा यंत्र सबसे पुराने हैं जो करीब 100 से 150 वर्ष पुराने हैं। इन वाद्य यंत्र को बनाने वाले कारीगर बहुत कम हैं जो बाडमेर में एक या दो कारीगर इन वाद्यों को बनाते हैं। वाद्ययंत्र को बनाने में काम आने वाला कच्चा समान जिसमें (1) लकड़ी (2) चमड़ा (3) तार तथा अन्य समान सम्मिलित होता हैं। एक सारंगी को बनाने के लिए लकड़ी का नाप इस प्रकार का होना चाहिए जो 12”×12”×3.5’ ( 12 इंच गुणा 12 इंच गुणा 3.5 फुट )। 25 सांरगी बनाने के लिए कम से कम 40 लकड़ी के टुकड़ों की जरूरत होती हैं जिसमें एक लकड़ी का नाप इस प्रकार हैं 12 इंच गुणा 12 इंच गुणा 3.5 फट होना चाहिए। ढालक बनाने की पक्रिया पर वार्ता। |
Access Restriction | Open |
Rights License | http://creativecommons.org/licenses/by-nc/4.0/ |
Subject Keyword | Folk Music |
Content Type | Video |