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Discussion on Broom makers of Rajasthan (Vol. III)
| Content Provider | Internet Archive: Cultural Resources of India |
|---|---|
| Spatial Coverage | 2008-03-14 |
| Description | वक्ता द्वारा बताना की खड़ झाड़ू (धामण घास), खिपड़ा का झाड़ू काम में लेते हैं। खिप से झूपे, खिप से रस्सी, तथा खिप की रस्सी से चारपाई बनाते हैं। मटकी रखने के लिए अराई, खिप को काम लेने से पहले पानी में भिगोकर रखते हैं उसके बाद उसे जमीन में गाड़ देते हैं। फिॅर दो या तीन दिन बाद वापस निकाल कर उसे काम में लेते हैं। रात के समय झाड़ू निकालना अशुभ माना जाता हैं। बहन बेटी को ससुराल विदाई से पहले झाड़ू निकाल लेते हैं पिछे से झाड़ू नही निकलते हैं। फिर झाड़ू दुसरे दिन निकालते हैं। स्कूल में बच्चों के द्वारा पुछने पर उनके द्वारा बताये गये झाड़ू के नाम में खिप का झाड़ू तथा सिणिया का झाड़ू काम में लेते हैं।ऽखिपड़ा रो झाड़ू गवाड में काम लेते हैं। भळकनी रो झाड़ू घर रे अन्दर काम लेते हैं। |
| Access Restriction | Open |
| Rights License | http://creativecommons.org/licenses/by-nc/4.0/ |
| Subject Keyword | Traditional Knowledge |
| Content Type | Video |