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Pabu Ji Ki Phad on Mata Instrument (Vol. II)
Content Provider | Internet Archive: Cultural Resources of India |
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Spatial Coverage | 1974-01-08 |
Description | पाबुजी राठौड़: पाबुजी की पड़ के नायक लोक देवता पाबुजी का जन्म पिता धांधल राठौड़ के घर मे राजा की पत्नि जो एक अप्सरा थी, उनके गर्भ से हुआ था। भोमिया रूप में वचन बधता के वषीभूत कई काम उन्होने किये जो सम्मानजनक हैं। अपनी बहन का अपमान करने वाले बहनोई को बंदी बनाना जिसे बहन के माफी देने पर छोड़ देना । पाबुजी ने सवारी हेतू चारण देवी से उसकी घोड़ी केषर कालमी मांगी थी और वचन दिया था कि जब भी कोई संकट चारण देवी पर आयेगा तो वे तुरन्त सहायता करने पहुँचेगे । चारण देवी ने केषर कालमी को जीन्दराव खीची को नही दिया इस बात का बदला लेने के लिए देवी की गायों का अपहरण कर लिया । यह सुचना पाबुजी को मिली उस समय वे स्वयं के विवाह संस्कार में व्यस्त थे, यह सूचना मिलते ही विवाह अधूरा छोड़ कर पाबुजी पहुँचे तथा जीन्दराव से युद्ध कर गायौं को छुड़ा दिया । परन्तु स्वयं वीरगति को प्राप्त हुए। मारवाड़ में ऊँट लाने का श्रेय पाबुजी को है जो उन्होने अपनी भतीजी को भेंट देने के लिए सिन्ध से खास कर लाए थे। पड़ मे अनेक प्रकार की कथाऐं हैं जिसे पड़वाड़े कहते हैं। पड़वाड़े को भोपा लोक वाद्य ”माटा“ को बजाते हुये पाबुजी की पड़ का वाचन करते हैं। इस पड़वाड़े मे सुसिये को लेकर सांरगदे खीची ओर बूडेजी (पाबुजी के भाई) मे विवाद होना। खीची द्वारा बूडेजी को अपने भाई पाबुजी का घमंड न करने की बात कहना। बूडेजी का कोलू अपनी नगरी मे आना। राणी चन्द्रावल व बूडेजी के बीच की वार्ता। पाबुजी की बहन और खीची के विवाह मे खीची द्वारा केशर कालमी को दहेज मे मागना जिसे पाबुजी बड़ी चतुरता से बात का संभाल लेत है। पाबुजी द्वारा पुष्कर की ओर जाना। |
Access Restriction | Open |
Rights License | http://creativecommons.org/licenses/by-nc/4.0/ |
Subject Keyword | Epic of Pabu |
Content Type | Audio |