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Pabu Ji Ki Phad (Vol. III)
Content Provider | Internet Archive: Cultural Resources of India |
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Description | पाबुजी राठौड़: पाबुजी की पड़ के नायक लोक देवता पाबुजी का जन्म पिता धांधल राठौड़ के घर मे राजा की पत्नि जो एक अप्सरा थी, उनके गर्भ से हुआ था। भोमिया रूप में वचन बधता के वषीभूत कई काम उन्होने किये जो सम्मानजनक है। अपनी बहन का अपमान करने वाले बहनोई को बंदी बनाना जिसे बहन के माफी देने पर छोड़ देना । पाबुजी ने सवारी हेतू चारण देवी से उसकी घोड़ी केषर कालमी मांगी थी और वचन दिया था कि जब भी कोई संकट चारण देवी पर आयेगा तो वे तुरन्त सहायता करने पहुँचेगे । चारण देवी ने केषर कालमी को जीन्दराव खीची को नहीं दिया इस बात का बदला लेने के लिए देवी की गायों का अपहरण कर लिया । यह सुचना पाबुजी को मिली उस समय वे स्वयं के विवाह संस्कार में व्यस्त थे, यह सूचना मिलते ही विवाह अधूरा छोड़ कर पाबुजी पहुँचे तथा जीन्दराव से युद्ध कर गायौं को छुड़ा दिया । परन्तु स्वयं वीरगति को प्राप्त हुए। मारवाड़ में ऊँट लाने का श्रेय पाबुजी को है जो उन्होने अपनी भतीजी को भेंट देने के लिए सिन्ध से खास कर लाए थे। पड़ मे अनेक प्रकार की कथाऐ है जिसे पड़वाड़े कहते है। पड़वाड़े को भोपा रावणहत्था बजाते हुये गाता और साथ मे भोपी साथ देती है गायकी मे।इस पड़वाड़े मे पाबुजी की आरती उनकी सासुजी द्वारा करना। चंवरी मे चोथा फेरे पाबुजी लेते हैं तब चारण देवी का चिड़िया के रुप मे आना और खीची सिरदार द्वारा चारण देवी की गायों के अपहरण करने के बारे मे पाबुजी को बताना। पाबुजी अपना वचन निभाने हेतु अपने विवाह को गठजोड़ छोड़ते हुये गायो को वचाने चले जाते है। पाबुजी द्वारा खीची के सम्पुर्ण फोज को मार देना लेकिन अपनी बहन के आग्रह पर खीची जो पाबुजी जी के बहनोई भी थे उनको जीवित छोड़ देना। पाबुजी का पालकी मे बैठकर स्वर्ग की और प्रस्थान करना। |
Access Restriction | Open |
Rights License | http://creativecommons.org/licenses/by-nc/4.0/ |
Subject Keyword | Epic of Pabu |
Content Type | Audio |