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Pabu: Epic Conversation (Vol. VIII)
Content Provider | Internet Archive: Cultural Resources of India |
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Spatial Coverage | 1981-07-14 |
Description | पाबुजी राठौड़: पाबुजी की पड़ के नायक लोक देवता पाबुजी का जन्म पिता धांधल राठौड़ के घर मे राजा की पत्नि जो एक अप्सरा थी, उनके गर्भ से हुआ था। भोमिया रूप में वचन बधता के वषीभूत कई काम उन्होने किये जो सम्मानजनक हैं। अपनी बहन का अपमान करने वाले बहनोई को बंदी बनाना जिसे बहन के माफी देने पर छोड़ देना । पाबुजी ने सवारी हेतू चारण देवी से उसकी घोड़ी केषर कालमी मांगी थी और वचन दिया था कि जब भी कोई संकट चारण देवी पर आयेगा तो वे तुरन्त सहायता करने पहुँचेगे । चारण देवी ने केषर कालमी को जीन्दराव खीची को नही दिया इस बात का बदला लेने के लिए देवी की गायों का अपहरण कर लिया । यह सुचना पाबुजी को मिली उस समय वे स्वयं के विवाह संस्कार में व्यस्त थे, यह सूचना मिलते ही विवाह अधूरा छोड़ कर पाबुजी पहुँचे तथा जीन्दराव से युद्ध कर गायौं को छुड़ा दिया । परन्तु स्वयं वीरगति को प्राप्त हुए। मारवाड़ में ऊँट लाने का श्रेय पाबुजी को है जो उन्होने अपनी भतीजी को भेंट देने के लिए सिन्ध से खास कर लाए थे। पड़ मे अनेक प्रकार की कथाऐं है जिसे पडवाडे कहते है। पड़वाड़े को भोपा रावणहत्था बजाते हुये गाता और साथ मे भोपी साथ देती है गायकी मे।। इस पडवाडे मे हरमल देवासी लंका जाने से पहले साधु के पास जाना और उनसे मदद माँगना । साधु द्वारा कुछ चीजे हरमल देवासी को देना और साधु वेश धारण कर के लंका जाने को कहना। हरमल द्वारा साधु का वेश धारण करके अपनी माता और पत्नि की परिक्षा लेने के लिये जाना। लंका जाने के मार्ग मे डाकणियों द्वारा रोकना तो हरमल द्वारा बड़ी चतुराई से उनका भगा देना। हरमल देवासी का समुन्दर को पार करना और लंका पहुच जाना और वहाँ साधु के रुप मे अपना निवास स्थापित करना। साइडिया को बारे मे सम्पुर्ण जानकारी प्राप्त करना ओर वापस अपने देश कोलू जाकर पाबुजी को सारी जानकारी बताना। |
Access Restriction | Open |
Rights License | http://creativecommons.org/licenses/by-nc/4.0/ |
Subject Keyword | Epics of Pabu |
Content Type | Audio |