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Pabu: Epic Conversation (Vol. VII)
Content Provider | Internet Archive: Cultural Resources of India |
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Spatial Coverage | 1981-07-14 |
Description | पाबुजी राठौड़: पाबुजी की पड़ के नायक लोक देवता पाबुजी का जन्म पिता धांधल राठौड़ के घर मे राजा की पत्नि जो एक अप्सरा थी उनके गर्भ से हुआ था। भोमिया रूप में वचन बधता के वषीभूत कई काम उन्होने किये जो सम्मानजनक हैं। अपनी बहन का अपमान करने वाले बहनोई को बन्धी बनाना जिसे बहन के माफी देने पर छोड़ देना । पाबुजी ने सवारी हेतू चारण देवी से उसकी घोड़ी केषर कालमी मांगी थी और वचन दिया था कि जब भी कोई संकट चारण देवी पर आयेगा तो वे तुरन्त सहायता करने पहुँचेगे । चारण देवी ने केषर कालमी को जीन्दराव खीची को नही दिया इस बात का बदला लेने के लिए देवी की गायों का अपहरण कर लिया । यह सुचना पाबुजी को मिली उस समय वे स्वयं के विवाह संस्कार में व्यस्त थे, यह सूचना मिलते ही विवाह अधूरा छोड़ कर पाबुजी पहुँचे तथा जीन्दराव से युद्ध कर गायौं को छुड़ा दिया । परन्तु स्वयं वीरगति को प्राप्त हुए। मारवाड़ में ऊँट लाने का श्रेय पाबुजी को है जो उन्होने अपनी भतीजी को भेंट देने के लिए सिन्ध से खास कर लाए थे। पड़ मे अनेक प्रकार की कथाऐं है जिसे भोपा रावणहत्था बजाते हुये वीर गाथा गाता है और साथ मे भोपी भोपी जी का साथ देती है गायकी मे। इस पडवाडे मे गोगा जी का विवाह सम्पन्न होने पर अपने देश लोट जाना और अपनी माता को पाबुजी द्वारा दिये हुये वचन के बारे मे बताना। समय बीत जाने पर केलम के ननदो द्वारा पाबुजी को वचन पुरा नही करने का उलाहना देना । केलम द्वारा पाबुजी के नाम का पत्र लिखना और बाह्राण के साथ संदेशा भेजना। पाबुजी को पत्र मिलना और अपने सरदारों को सांइडिया (ऊँट) के बारे मे पता लगाने के लिये कहना जो हरमल देवासी यह बीड़ा उठाता है। |
Access Restriction | Open |
Rights License | http://creativecommons.org/licenses/by-nc/4.0/ |
Subject Keyword | Epics of Pabu |
Content Type | Audio |