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Kuchamani Khayal (Vol. II)
Content Provider | Internet Archive: Cultural Resources of India |
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Spatial Coverage | 1979-09-20 |
Description | कुचामनी ख्याल - कुचामनी ख्याल मारवाड़ी की एक मात्र लोक नाट्य परम्परा है जिसमे संगीत, नृत्य एवं नाटक का मिश्रित रुप देखने को मिलता है । भांड जाति के पेशेवर कलाकारों द्वारा कुचामनी लोक नाट्य शैली के रुप मे ग्रामीण आंचल में लाखों लोगों का मनोरजंन किया जाता है। कुचामनी ख्याल परम्परा लगभग 2-3 शताब्दीयों पूर्व मेड़ता और नागौर श्रेत्र मैं विकसित हुई है। मनोरंजन के श्रेत्र में फिल्मों के आगमन के बाद इस नाट्य शैली की परम्परा घटती चली गयी और आज कुछ ही कलाकार इस नाट्य परम्परा को जीवित रखे हुये है। इस लोक नाट्य शैली मे गायन की परम्परा के अंतर्गत राग माँड का प्रयोग किया जाता रहा है। माँड की इस गायन शैली मे लावणी माँड के रुप मे अत्यधिक प्रचलित है। इस मीडिया में लोक नाटक में चैधरी का ठाकुर पूरणमल को धर के समाचार कहना और पूरणमल द्वारा गायों और भेसियों का दुध नही निकालने की बात करना। साथ मे लोक वाद्य नगारा और घुंगरू की रोमाचक स्वर लहरीं: इस मीडिया मे गोग चवाण की कथा को नाटक के रुप मे प्रस्तुति : गोगा चवाण दिल्ली को जाना और बादशाह से वार्ता करना, गोगा चवाण की पत्नी का रुठ जाना, राणी द्वारा अर्जन सर्जन का सिर मागना ; घोड़ी का श्रंगार करना । बादशाह का राजदूत का गोगा चवाण के पास आना और युद्ध की तैयारी करने के लिए कहना। गोगा चवाण और बादशाह के बीच युद्ध होना और अर्जन सर्जन व भाणु का मारा जाना, गोग चवाण का विजयी होना। गोगा चवाण का घर से चले जाना और मुस्लिम धर्म अपना लेना। |
Access Restriction | Open |
Rights License | http://creativecommons.org/licenses/by-nc/4.0/ |
Subject Keyword | Folk Theatre |
Content Type | Audio |