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The Epic of Pabu (Vol. I)
Content Provider | Internet Archive: Cultural Resources of India |
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Spatial Coverage | 1972-11-23 |
Description | स्तुती:- औ ब्रज रा वासी मै थाणी काई करु मनवार जी । स्तुती लेखन राजस्थानी काव्य का मुख्य पहलू है, वैसे तो स्तुती गायन भी लोक गायन का अनुठा आमान्त्रण है । लोक देवी देवताओं के पुजारियों को भोपा कहा जाता है। ये भोपा अपने अपने इष्ट की स्तुति अपने ढंग से करते है। प्रस्तुत स्तुति में जवाहरजी भोपा व राणोंजी भोपा के भजन प्रस्तुति - बृज वासी लाई कृष्णा जिसमे कृष्णा को निमंत्रण देने की बात कही गयी है। गोगा जी की शादी का वर्णन - गोगा जी की बारात में भगवान रामदेवजी, भगवान शिव, माता पार्वती, देवी देवता और देव काला भैरु, देव गोरा भैरु का आना। इसके साथ ही शिवजी के विवाह का वर्णन भी किया गया है। साथ में प्रसिद्ध भीलड़ी रंगीली वाला प्रंसग भी भोपा द्वारा गाया गया। प्रसिद्ध कथा - श्रवण कुमार का जन्म और उसके द्वारा अपने अन्धे माता पिता को तीर्थ कराना। राजा दशरथ द्वारा श्रवण कुमार को गलती से तीर मारना। राजा दशरथ द्वारा श्रवण कुमार के अन्धे माता पिता को श्रवण कुमार की मृत्यु का संदेश देना। श्रवण कुमार के माता पिता द्वारा राजा दशरथ को श्राप देना। गोगा जी को बींद (दुल्हा) बनाने की तैयारी करना जहाँ बींद (दुल्हा) बनाते समय गाया जाने वाला गीत। गोगा जी को धोड़ी पर चढ़ाना और बारात लेकर केलम के घर जाना। गोगा जी द्वारा तोरण बांधना। गोगा जी और केलम का चवरी में प्रवेश करना और विवाह की रिति रिवाजों को पुर्ण करके अग्नि के फेरे लेना। विवाह पश्चात पाबू जी द्वारा केलम को दहेज देना। पाबू जी द्वारा केलम को वचन देना की वो उसके लिये ऊट लेकर उसके ससुराल पहुचायेंगे। गोगा जी और केलम का विवाह पूर्ण होना । गोगा जी और केलम का स्वागत गोगा जी की माता द्वारा करना। पाबू जी द्वारा दिया गया अनोखा दहेज का वचन की बातचीत महिलाओ द्वारा करना। |
Access Restriction | Open |
Rights License | http://creativecommons.org/licenses/by-nc/4.0/ |
Subject Keyword | Oral Tradition |
Content Type | Audio |