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Bhilari Rangili: Folk Tale
Content Provider | Internet Archive: Cultural Resources of India |
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Spatial Coverage | 1987-05-05 |
Description | श्री दिना नाथ और श्री कोमल कोठारी के बीच में वार्ता जिसमे अल्लाबक्स द्वारा रचित काव्यात्मक सामग्री का वर्णन। लोक कथा - चार चतूर नार की कथा। लोक कथा भीलड़ी रगीली में शिव का मोची जाति का रुप लेना और माता पार्वती के यहाॅ जाना। लोकगीत - मैं थारी लाज राखु बाई। लोकगीत - अरे पिया कि जुदायी कैसे सई जावै रै। लोकगीत - ढोला बाली सी उमरिया में मारगई रै। अरे धरदे धरदे रै वीरा म्हारे सिर पै हाथ। लोकगीत - हो मूद छकिया म्हारा पीव जागौ चेत करौ। लोकगीत - सायबो दारुड़ी में दुगो छे। लोकगीत - अरस हरस की मंडी है अनमोल खजाना। लोकगीत - अकड़ भम भम लेरी और शिव लेरी। लोकगीत - मीरा सासरे नी जाउली म्हारी माॅ। लोकगीत - हे जीन्दगी रै बुढापो वेरी आ गयो रे। |
Access Restriction | Open |
Rights License | http://creativecommons.org/licenses/by-nc/4.0/ |
Subject Keyword | Oral Traditions and Folk Music |
Content Type | Audio |