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Ritual Practices of Dham
Content Provider | IGNCA - National Cultural Audiovisual Archives |
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Description | धम किसी के जिवित रहे हुये को भी जीवित धम कहते हैं। धम से सबसे पहले जैसलमे जाते हैं वहाँ पर चार पाड़ा हैं जनाब आलम खान साहब को। वहाँ पर धम को डोरा देते हैं और धम की तारी तय कर देते हैं। पहले तारीख तो नहीं समझते थे तो मोटे धागे पर गिनती की गांठ लगा देते थै और एक दिन व्यतीत होने पर एक गांठ को खोल देते थे। चार पारा पे एक मीर होता हैं। उनके पास जाकर धम कितने दिन का होगा यह भी तय करते हैं। गाँव हमीरा के साथ 12 गाँव और हैं जिसमें मांगनियार समाज के सभी सगे सम्बन्धि भग लेते हैं। जब तक 12 गाँव के भाई बन्धु न आ जाये तब तक सब इन्तजार करते हैं। सबसे पहले खीचड़ नाम का पकवान बनाते हैं जिसमें दाल धी शक्कर का उपयोग होता हैं। इसके बाद गुड़ की लापसी बनाई जाती हैं। इसी प्रकार धम मे कई रीति रिवाज होते हैं। The recordist of this event is Sharwan Kumar Meghwal. |
File Format | MPEG |
Language | Rajasthani |
Access Restriction | Open |
Rights Holder | Rupayan Sansthan (RS) |
Subject Keyword | Cultural Practice Culture Desert Documentation Kuldeep Kothari Manganiyar Rajasthan |
Content Type | Video |