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Bhagrawat Epic and Pabu Epic (Vol. I)
Content Provider | Internet Archive: Cultural Resources of India |
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Description | पाबुजी राठौड़: पाबुजी की पड़ के नायक लोक देवता पाबुजी का जन्म पिता धांधल राठौड़ के घर मे राजा की पत्नि जो एक अप्सरा थी, उनके गर्भ से हुआ था। भोमिया रूप में वचन बधता के वषीभूत कई काम उन्होने किये जो सम्मानजनक है। अपनी बहन का अपमान करने वाले बहनोई को बंदी बनाना जिसे बहन के माफी देने पर छोड़ देना । पाबुजी ने सवारी हेतू चारण देवी से उसकी घोड़ी केषर कालमी मांगी थी और वचन दिया था कि जब भी कोई संकट चारण देवी पर आयेगा तो वे तुरन्त सहायता करने पहुँचेगे । चारण देवी ने केषर कालमी को जीन्दराव खीची को नही दिया इस बात का बदला लेने के लिए देवी की गायों का अपहरण कर लिया । यह सुचना पाबुजी को मिली उस समय वे स्वयं के विवाह संस्कार में व्यस्त थे, यह सूचना मिलते ही विवाह अधूरा छोड़ कर पाबुजी पहुँचे तथा जीन्दराव से युद्ध कर गायौं को छुड़ा दिया । परन्तु स्वयं वीरगति को प्राप्त हुए। मारवाड़ में ऊँट लाने का श्रेय पाबुजी को है जो उन्होने अपनी भतीजी को भेंट देने के लिए सिन्ध से खास कर लाए थे। पड़ मे अनेक प्रकार की कथाऐ है जिस पड़वाड़े कहते है। पड़वाड़े को भोपा रावणहत्था बजाते हुये गाता और साथ मे भोपी साथ देती है गायकी मे। इस परवाड़ा मे पाबु द्वारा केशर कालमी को सजाना व पुष्कर के लिये प्रस्थान करना। पुष्कर के पानी मे पाबुजी का पेर फिसलना और गोगा जी द्वारा पाबुजी को बचाना, पाबुजी की भतीजी का विवाह का प्रस्ताव गोगा जी को देना और अपने देश आना। गोगा जी को और केलम के विवाह की तैयारी होना और साथ मे सभी देवी देवताओ को न्योता देना। |
Access Restriction | Open |
Rights License | http://creativecommons.org/licenses/by-nc/4.0/ |
Subject Keyword | Folk Ballad |
Content Type | Audio |