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Ramayan Epic by Mewati Jogi (Vol. I)
Content Provider | Internet Archive: Cultural Resources of India |
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Spatial Coverage | 2010-01-28 |
Description | मेवाती जाति कलाकार द्वारा रामायण के नाटक की प्रस्तुति। रामायण की कथा का पाठ करते हुये लोक वाद्य भपंग व नगाड़ा का प्रयोग मेवाती जाति कलाकार द्वारा किया जाता हैं। रामायण कथा मे राजा दशरथ द्वारा जंगल मे जाना और हिरण का शिकार करने की तैयारी करना लेकिन गलती से तीर श्रवण नामक बालक के हृदय मे लगना। श्रवण के अंधे माता पिता द्वारा राजा दशरथ पर कुपित होना और अपने शरीर को त्याग देना। राजा द्वारा तीनों का क्रिया क्रम करना व श्रवण को लगा हुआ तीर नदी मे फेक देना। वह तीर मछली द्वरा निगल लेना। मछवारे द्वारा उस मछली को पकड़ना। मछली को मछवारे द्वारा काटना तो मछली के पेट मे तीर पाना। मछवारे द्वारा वह तीर लौहार को देना। लौहार द्वारा उस तीर से उसतरा बनाना और नाई को देना। नाई द्वारा उस उसतरे से राजा दषरथ के हाथ और पैर के नाखुन काटना। राजा दशरथ के नाथुनो के पास पीड़ा होना और चर्म रोग होना। रानी कोषल्या द्वारा रानी कैकयी को कहना की उसके मुख मे अमृत हैं, वह अपनी जीभ से राजा दशरथ के रोग दुर करे। रानी केकयी द्वारा राजा से वचन लेना की लक्ष्मण को राजा बनाना व राम को चौदह वर्ष का वनवास देना। राम, सीता व लक्ष्मण वनवास के लिये तैयार होना और वन की और प्रस्थान करना। वन मे पंचवटी मे अपना आश्रम बनाना जो राजा रावण के श्रेत्र मे आता था। पंचवटी मे माता सीता का मन नही लगना। रावण द्वारा हिरण का रुप लेना। राम द्वारा स्वर्ण हिरण का पीछा करना। राम को आने मे देरी होना तो लक्ष्मण द्वारा राम को ढुढने जाना। रावण द्वारा धोखे से माता सीता का हरण करना और अपने राज्य लंका ले जाना। पंचवटी मे लक्ष्मण का वापस लौटना तो माता सीता को वहा न पाकर व्याकुल होना। लक्ष्मण को आत्मग्लानी होना और कोने मे छुप जाना। राम का पंचवटी मे वापस लौटना। राम द्वारा लक्ष्मण को पुकारना। राम व लक्ष्मण द्वारा सीता को ढूंढ़ने निकलना। लंका मे रावण द्वारा सीता को अशोक वाटीका मे रुकवाना। रावण द्वारा घमंड करना की एक वनवासी रावण का मुकाबला केसे कर सकता हैं। सीता के अपहरण के समय सीता द्वारा मार्ग मे केसर को डालते हुये जाना जिससे की राम सीता को ढूंढ़ सके। सीता के पास केसर खत्म होने पर अपने ओढनी के टुकड़े मार्ग पर गिराते हुये जाना। गिलहरी द्वारा उन ओढनी के टुकड़ो को ले जाना लेकिन जब देखा की राम माता सीता को ढूंढ़ रहे हैं तो माता सीता के कपड़ो के टकड़ो को अपनी यथा स्थिति मे रख देना। राम द्वारा गिलहरी को प्यार करना और उस कारण आज भी गिलहरी की पीठ पर जन्म जात लकीरे हुये होती हैं जो भगवान राम के हाथो की उगलियो के प्यार का स्पर्ष का सबुत हैं। आगे बढते हुये भगवान राम व लक्ष्मण एक बड़ के पेड़ के नीचे विश्राम करते हैं। उस बड़ पर एक बगुला व बगुली का निवास था। बगुला व बगुली राम को माता सीता का हरण रावण द्वारा करने की सुचना देते हैं। लक्ष्मण द्वारा बाग मे जाना तो वहाँ हनुमान को देखना। हनुमान को उबासी आना और लक्ष्मण को अपने मुख मे समा लेना। भगवान षिव और राम का आना। भगवान शिव द्वारा हनुमान को लक्ष्मण को छोड़ने के लिये कहना। लक्ष्मण द्वारा भगवान शिव से प्रार्थना करना की हनुमान को कहे कि माता सीता को ढूंढ़ने के राम की सहायता करे। हनुमान की मित्रता भगवान राम व लक्ष्मण से हो जाना। हनुमान द्वारा अशोक वाटीका पहुंचना व माता सीता को राम का संदेश देना। रावण द्वारा हनुमान को बंदी बनाना व हनुमान द्वारा रावण की लंका जलाना। रावण के अनुयायी द्वारा लक्ष्मण का अपहरण करना व पाताल ले जाना। हनुमान का पाताल पहुचना व अहिरावण का मार कर लक्ष्मण को मुक्त करना। मेधनाथ द्वारा युद्ध मे जाना और सर्प दंष चलाना। लक्ष्मण का मुरछित होना, राम का व्याकुल होना व वैध जी द्वारा हनुमान को संजीवनी बुटभ् लाने के लिये कहना। हनुमान द्वारा सम्पुर्ण संजीवनी बुटी वाला पहाड़ उठा लाना। संजीवनी बुटी से लक्ष्मण का पुनजीवन मिलना। रावण का अपने महल मे भोजन करना तो सुर्य का अचानक अस्त हो जाना। रावण द्वारा अपनी पत्नि से कारण पुछना तो कहना की सुर्य विभिष्ण की पत्नि का पसन्द करता हैं क्योकि व बहुत सुन्दर हैं। रावण के मन मे खोट आना। रावण द्वारा विभिष्ण की पत्नि से मिलने जाना तो पति व्रता नारी रावण से मिलने के लिये इन्कार करना। विभिष्ण को गुस्सा आना और राम के दल मे शामिल हो कर रावण की मृत्यु का रहस्य बताना। रावण व राम का युद्ध होना व राम द्वारा रावण के नाभी मे तीर चला कर उसको मोक्ष प्रदान करना। विभिष्ण को लंका का राजा धोषित करना। राम सीता व लक्ष्मण को अयोघ्या आगमन व अयोध्या वाषी द्वारा धी के दिपक जलाकार स्वागत करना। भजन - सोती ने सुपना भयो सास मेरी काया दहलाई। भजन - उपड़े ना दुध के दन्त उभर मेरी कैसे करे बारी। भजन - कोई बैद हकीम लावौ लक्ष्मण की जान बचावौ। भजन - श्री राम चन्द्र कू संदेश जब सिया को लायौ। भजन - हनुमत सू पुछे रो रो मेरे कैसे हैं राम। भजन - मे कुण कुण सी ले जाउ सब ही लगे इकसार। |
Access Restriction | Open |
Rights License | http://creativecommons.org/licenses/by-nc/4.0/ |
Subject Keyword | Oral Traditions |
Content Type | Video |