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Folk Songs of Gurjar Community
Content Provider | Internet Archive: Cultural Resources of India |
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Spatial Coverage | 1974-06-21 |
Description | “हीड़“ सम्बन्धि वार्ता: “हीड़“ बगड़ातों की वीर गाथा का एक भाग है। मालवी गुजर समुदाय “हीड़“ को महाभारत भी कहते हैं। विभिन्न हीड़े है जेसे देवनारायण, चालर गाय, साढू माता, धौला बैल आदि। हीड़ मे लोकदेवताओ की स्तुति समाहित है। विशेष रुप से “हीड़“ का आयोजिन दिवाली पर्व के आसपास किया जाता है क्योकि उस समय पशुओ मे खुरपका-मुंहपका नामक बीमारी होने का अंदेशा ज्यादा होता है अतः इस बीमारी की रोकथाम के लिये “हीड़“ का आयोजन होता है। साथ ही साथ “हीड़“ को एक मान्यता के रुप मे जाता जाता है जिसमे लोग अपने घर की सुख शांति, मवेशियो के स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना की जाती है। भोपा द्वारा बगड़ावत और हीड़ मे अन्तर यह है कि बगड़ावतो की पड़ मे लोक वाद्य जंतर का उपयोग किया जाता है जबकि “हीड़“ मे कोई भी वाद्य उपयोग नही किया जाता। वार्ता: श्री कोमल कोठारी द्वारा “हीड़“ और गुजर समुदाय की परम्पराओ से सम्बन्धित वार्ता। ;गीत - माँ बेटी माथो गुथती कोई नायण देती सीख ;गीत - लेजा लेजा रे देवरीया ;गीत - बायली के कबजा म्है बास आत कलाकन्द री ;गीत - होजी राजा गोखड़ला कई भटीया, म्हारे धर आत जवाई ;गीत - अरे जद चमकगी पतरी रे भतरी ;गीत - अरे जा छोरी चढता ऊॅची तो चढ जा मेंड़ी भोज ;गीत - म्हारी तो रंग दे रै चुन्दड़ी छोरा नील घर का रै |
Access Restriction | Open |
Rights License | http://creativecommons.org/licenses/by-nc/4.0/ |
Subject Keyword | Folk Songs |
Content Type | Audio |