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Dingal Kavita (Vol. I)
Content Provider | Internet Archive: Cultural Resources of India |
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Spatial Coverage | 2002-03-02 |
Description | श्री कोमल कोठारी का उदबोधन - किसी राष्ट्र की पहचान के तीन घटक है राष्ट्रीय, आर्थिक व सामाजिक । कोई युग में भाषा इस घटकों की वाहक है। भाषा की वाचक परम्परा के वाहक दिंगल छंद रहे है। छंद वास्तव में मनुष्य की मानसिक व सामाजिक गति के घोतक है। दिंगल लोक गीतों का वाचन अपने समय के समान की सम्पूर्ण व्याख्या है। जो उस समय को समझने का माध्यम भी इस दृष्टि से दिंगल छंदौ के वाचन संरक्षण इस समय के चरित्र का संरक्षण होगा। |
Access Restriction | Open |
Rights License | http://creativecommons.org/licenses/by-nc/4.0/ |
Subject Keyword | Performing Arts |
Content Type | Video |