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Dham by Janab Sakar Khan Manganiar
Content Provider | Internet Archive: Cultural Resources of India |
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Spatial Coverage | 2003-10-18 |
Description | धाम: किसी के जिवित रहे हुये को भी जीवित धाम कहते है। धाम में सबसे पहले जैसलमेर जाते हैं वहाँ पर चार पाड़ा है आलम खाँन साहब को। वहा पर धाम को डोरा देते है और धाम की तारीख तय कर देते है। पहले तारीख तो नही समझते थे तो मोटे धागे पर गिनती की गाँठे लगा देते थै और एक दिन व्यतीत होने पर एक गाँठ को खोल देते थे। चार पारा पे एक मीर होता है। उनके पास जानें से कितने दिन का धाम होगा यह भी तय करते है। गाँव हमीरा के साथ 12 गाँव और है जिसमें मागणियार समाज के सभी सगे सम्बन्धि भाग लेते है। जब तक 12 गाँव के भाई बन्धु न आ जाये तब तक सब इन्तजार करते है। साथ में चारो दिशाओं के सगे सम्बन्धि आते है और सबसे पहले खीचड़ नाम का पकवान बनाते है जिसमें दाल धी शक्कर का उपयोग होता है। इसके बाद गुड़ की लापसी बनाई जाती है। इसी प्रकार धाम में और कर्ह रीति रिवाज़ होते है और मागणियार इन सभी रीति रिवाज़ो को भली भाती आज भी जिवित रखे हुये है। |
Access Restriction | Open |
Rights License | http://creativecommons.org/licenses/by-nc/4.0/ |
Subject Keyword | Music |
Content Type | Video |